Friday, February 1, 2008

मन मंदिर P

में मन मंदिर में झाडू लगाउंगा !
विचारों को वहीं से भागाउंगा !!
अपने प्रभु के लिए रास्ता बानाउंगा !
प्रभु आयंगे बैठेंगे !!
मन रुपी अगर बत्ती जलाउगा !
श्रद्धा के फूल चढाउंगा !!
बुद्धी का दीप जलाउंगा !
प्रभु के पैर पकड कर !!
अपने आंसू रुपी गंगा जल से निहलाउंगा !
कहे मदन गोपाल आखों के पलक रुपी,
अंगोछे से पोंछ कर चन्दन लगाउंगा !!

२५-०३-०४

Labels: